₹2.88 करोड़ का वर्चुअल अरेस्ट साइबर फ्रॉड: कोच्चि की महिला कैसे बनी शिकार और कानून क्या कहता है?

कोच्चि डिजिटल अरेस्ट साइबर फ्रॉड ₹2.88 करोड़ का केस

परिचय – कोच्चि डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड

कोच्चि डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड – भारत में साइबर अपराध (Cyber Crime) तेजी से फैल रहे हैं और ठग लगातार नए-नए तरीके अपनाकर लोगों को अपने जाल में फंसा रहे हैं। इसी कड़ी में केरल के कोच्चि से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां 59 वर्षीय महिला को ‘डिजिटल / वर्चुअल अरेस्ट’ (Digital / Virtual Arrest Fraud) का शिकार बनाकर ₹2.88 करोड़ की ठगी कर ली गई। यह घटना सिर्फ एक आर्थिक अपराध नहीं, बल्कि समाज के लिए एक गंभीर चेतावनी है कि कोई भी व्यक्ति इन नए डिजिटल धोखों का शिकार हो सकता है। यह दिखाता है कि कैसे डिजिटल अपराधी सोशल इंजीनियरिंग और डर का माहौल बनाकर लोगों को ब्लैकमेल करते हैं।

घटना कैसे हुई? – कोच्चि डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड

  • महिला से धोखेबाज़ों ने वीडियो कॉल के ज़रिए संपर्क किया।
  • उन्होंने खुद को मुंबई पुलिस का अधिकारी बताया और कहा कि वह मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसी हुई हैं।
  • नकली कोर्ट सुनवाई (Fake Court Proceedings) दिखाकर उन्हें डराया गया, जिसमें फर्जी जज और वकील तक शामिल थे।
  • आरोप लगाया गया कि उनके अकाउंट से ₹2 करोड़ अवैध लेन-देन हुआ और ₹25 लाख उनकी कमीशन मानी गई।
  • डर और दबाव में आकर महिला ने अपनी बचत, गहने गिरवी रखकर और नकद मिलाकर ₹2.88 करोड़ ट्रांसफर कर दिए। यह पूरी घटना तब सामने आई जब महिला ने स्थानीय पुलिस स्टेशन जाकर यह जांचना चाहा कि वह “क्लियर” हैं या नहीं।

तकनीकी शब्दों का आसान अर्थ

●      डिजिटल / वर्चुअल अरेस्ट (Digital / Virtual Arrest) – ऑनलाइन माध्यम से नकली गिरफ्तारी दिखाना, ताकि सामने वाला डरकर पैसे दे दे।

●      सोशल इंजीनियरिंग (Social Engineering) – तकनीक की बजाय इंसानी सोच और मनोविज्ञान का इस्तेमाल कर लोगों से संवेदनशील जानकारी या पैसे निकलवाना।

●      फिशिंग कॉल (Phishing Call) – नकली कॉल जिनमें अपराधी खुद को बैंक, पुलिस या सरकारी अधिकारी बताकर धोखा देते हैं।

हाल के कदम – कोच्चि डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड

भारत सरकार ने साइबर क्राइम पोर्टल (cybercrime.gov.in) और हेल्पलाइन 1930 शुरू की है ताकि ऐसे मामलों की तुरंत रिपोर्टिंग की जा सके।

इससे जुड़े हाल के मामले

आम लोगों के लिए सुरक्षा उपाय

  1. अनजान कॉल पर भरोसा न करें – पुलिस या सरकारी एजेंसियां कभी फोन या वीडियो कॉल से केस दर्ज नहीं करतीं।
  2. OTP, बैंक डिटेल्स, पासवर्ड साझा न करें – यह आपकी पहली सुरक्षा दीवार है।
  3. 1930 हेल्पलाइन पर तुरंत रिपोर्ट करें – धोखा होते ही रिपोर्ट करने से पैसे वापस पाने की संभावना बढ़ती है।
  4. आधिकारिक ऐप्स और वेबसाइट्स का ही उपयोग करें – किसी भी संदिग्ध लिंक पर क्लिक न करें।

विशेषज्ञों की राय – कोच्चि डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड

साइबर कानून विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रकार के केस सिर्फ तकनीकी नहीं, बल्कि मनोवैज्ञानिक अपराध हैं। अपराधी डर, शर्म और अधिकार के दबाव का इस्तेमाल करते हैं। इसलिए जागरूकता और कानूनी जानकारी ही सबसे बड़ा हथियार है।

निष्कर्ष

कोच्चि की इस महिला से हुई ₹2.88 करोड़ की ठगी यह याद दिलाती है कि डिजिटल युग में सावधानी और जागरूकता ही हमारी सबसे मजबूत ढाल है।

  • सरकार और कानून एजेंसियाँ BNS और IT Act के ज़रिए अपराधियों पर सख्ती कर रही हैं।
  • लेकिन व्यक्तिगत स्तर पर हमें भी साइबर साक्षर (Cyber Literate) बनना होगा।

इसके बारे में भी पढ़ें वित्तीय साइबर अपराध: आधुनिक डिजिटल खतरों को समझना

Adv. Ashish Agrawal

About the Author – Ashish Agrawal Ashish Agrawal is a Cyber Law Advocate and Digital Safety Educator, specializing in cyber crime, online fraud, and scam prevention. He holds a B.Com, LL.B, and expertise in Digital Marketing, enabling him to address both the legal and technical aspects of cyber threats. His mission is to protect people from digital dangers and guide them towards the right legal path.

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