प्रस्तावना
भारत की डिजिटल क्रांति के साथ साइबर अपराधों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। इसी के चलते सरकार ने साइबर सुरक्षा और अपराध नियंत्रण के लिए कई महत्वपूर्ण कानून और नियम बनाए हैं। वर्ष 2025 तक इन कानूनों में कई अहम बदलाव हुए हैं, जिन्हें हर इंटरनेट उपयोगकर्ता को जानना जरूरी है।
भारत में लागू प्रमुख साइबर कानून
1. सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (IT Act 2000)
इस अधिनियम का उद्देश्य इलेक्ट्रॉनिक लेन-देन को वैध बनाना और साइबर अपराधों को नियंत्रित करना है। इसमें 2023 और 2025 में संशोधन किए गए, जिनमें डेटा सुरक्षा और सोशल मीडिया निगरानी को कड़ा किया गया।
2. भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराएं
धारा 419, 420 (धोखाधड़ी), 500 (मानहानि), 66A, 66C, 66D (आईटी एक्ट) जैसी धाराएं साइबर अपराधों के लिए इस्तेमाल होती हैं।
3. डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट, 2023
इस नए कानून में यूज़र्स के व्यक्तिगत डेटा को सुरक्षित रखने की गारंटी दी गई है। डेटा चोरी, अवैध प्रोसेसिंग, और अनधिकृत उपयोग अब गंभीर अपराध माने जाते हैं।
2025 में प्रमुख बदलाव
- सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर कड़ा नियंत्रण
- साइबर क्राइम सेल की शक्ति में वृद्धि
- फर्जी वेबसाइट और फ्रॉड कॉल के लिए तत्काल रिपोर्टिंग प्रणाली
- बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा हेतु अलग प्रावधान
साइबर अपराधों के प्रकार
- फिशिंग और स्पूफिंग
- सोशल मीडिया हैकिंग
- फर्जी वेबसाइट्स द्वारा ठगी
- डेटा ब्रीच और रैंसमवेयर अटैक
उपयोगकर्ताओं के लिए जरूरी सावधानियाँ
- मजबूत पासवर्ड और टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन का प्रयोग करें
- संदिग्ध ईमेल या लिंक पर क्लिक न करें
- सोशल मीडिया पर पर्सनल जानकारी शेयर करने से बचें
- साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल cybercrime.gov.in का प्रयोग करें
निष्कर्ष
2025 में भारत के साइबर कानून अधिक कड़े और प्रभावशाली बन चुके हैं। हर यूज़र को इन कानूनों की जानकारी होनी चाहिए ताकि वह न केवल खुद को सुरक्षित रख सके बल्कि समाज में डिजिटल जिम्मेदारी का भी पालन कर सके।