सुधा मूर्ति साइबर फ्रॉड: एक फोन कॉल, डिजिटल जाल और कानूनी सुरक्षा

सुधा मूर्ति साइबर फ्रॉड केस 2025

प्रस्तावना: कैसे हुई प्रसिद्ध लेखिका पर ठगी की कोशिश?

सुधा मूर्ति साइबर फ्रॉड – सितंबर 2025 में, देश की जानी-मानी लेखिका एवं राज्यसभा सांसद श्रीमती सुधा मूर्ति को एक फर्जी कॉल आया, जिसमें खुद को ‘टेलीकॉम डिपार्टमेंट’ का अधिकारी बताने वाले शख्स ने उनका मोबाइल नंबर बंद करने और अभद्र वीडियो से जोड़ने की धमकी दी। असल में यह हाई-प्रोफाइल साइबर फ्रॉड का केस था, जिसमें आम-जन सहित सेलिब्रिटी भी टार्गेट बन रहे हैं.

क्या होता है साइबर फ्रॉड और फेक टेलीकॉम कॉल? – सुधा मूर्ति साइबर फ्रॉड

  • साइबर फ्रॉड: इंटरनेट या डिजिटल माध्यमों से की जाने वाली धोखाधड़ी जिसमें व्यक्तिगत, वित्तीय या संवेदनशील जानकारी ठग ली जाती है.
  • फेक टेलीकॉम कॉल: धोखेबाज खुद को सरकारी टेलीकॉम अधिकारी बताकर फोन पर धमकाते हैं और व्यक्तिगत जानकारी मांगते हैं — जैसे आधार लिंकिंग या OTP शेयर करवाना.
  • ऑनलाइन पहचान की चोरी (Identity Theft): जब कोई अन्य व्यक्ति आपका मोबाइल नंबर, आधार, या निजी जानकारी करके खुद को आपके जैसा दर्शाता है.

सुधा मूर्ति की घटना: ठगी का पूरा तरीका

  1. कॉलर ने खुद को टेलीकॉम डिपार्टमेंट का अफसर बताकर बताया कि उनका नंबर अवैध गतिविधियों में इस्तेमाल हो रहा है।
  2. धमकी दी कि उनका नंबर तुरंत बंद कर दिया जाएगा और उस पर अश्लील वीडियो फैलाई जा रही है।
  3. आधार कार्ड लिंक न होने की बात कहकर जानकारियां मांगी  जैसे OTP, व्यक्तिगत डिटेल्स।
  4. कॉलर का नंबर ट्रूकॉलर पर “Telecom Dept” दिखा जो तकनीकी रूप से “स्पूफिंग” थी (Caller-ID spoofing).

कैसे बचीं सुधा मूर्ति? – सुधा मूर्ति साइबर फ्रॉड

  • श्रीमती मूर्ति ने झांसे में न आकर फौरन पुलिस में शिकायत की।
  • उनके लिए FIR दर्ज की गई, और साइबर पुलिस ने जांच शुरू की।
  • यह केस आईटी एक्ट 66C (पहचान की चोरी), 66D (इंटरनेट पर चीटिंग) और 84C (अपराध कोशिश) के तहत दर्ज हुआ.

कानून का सहारा – सुधा मूर्ति साइबर फ्रॉड

  • धारा 66C (आईटी एक्ट): ऑनलाइन पहचान चोरी। 3 वर्ष तक की सजा व 1 लाख रुपये तक जुर्माना।
  • धारा 66D (आईटी एक्ट): इंटरनेट पर झूठ बोलकर धोखाधड़ी। 3 वर्ष तक की सजा, जुर्माना।
  • धारा 84C (आईटी एक्ट): साजिश/प्रयास की सजा।

तकनीकी ट्रेंड और फ्रॉडर्स का नया तरीका

  • अब कॉलर आईडी एवं ट्रूकॉलर जैसी ऐप्स का दुरुपयोग कर पहचान छिपा रहे हैं।
  • “Truecaller spoofing” द्वारा सरकारी विभाग का नाम दिखाते हैं।
  • फेक ‘ऑफिशियल’ नंबर से कॉल — जिससे भरोसा बढ़ता है।
  • ऐसी कॉल्स का मकसद डर पैदा करना और निजी डाटा या पैसे निकलवाना है.

सरकारी और कानूनी सलाह: कैसे रहें सुरक्षित

  • किसी भी अज्ञात कॉलर को निजी जानकारी (OTP, पासवर्ड, आधार डिटेल्स) कभी न दें।
  • सरकारी अधिकारी कभी फोन/चैट पर डिजिटल अरेस्ट या धमकी नहीं देते।
  • मोबाइल नंबर/सिम संबंधी शिकायत के लिए सिर्फ आधिकारिक पोर्टल या नजदीकी स्टोर जाएं।
  • कॉल पर डराने, धमकाने या पैसे मांगने की घटना हो तो तुरंत साइबर क्राइम पोर्टल (cybercrime.gov.in) या हेल्पलाइन 1930 पर शिकायत करें।
  • मोबाइल नंबर बंद या आधार लिंक झांसे में न आएं — पहले एप/वेट सेंटर्स, पोस्ट या ऑफिस से जांचें.

निष्कर्ष: डिजिटल जाल में सचेत, कानूनी रूप से मजबूत रहें

सुधा मूर्ति जैसा प्रकरण बताता है कि डिजिटल फ्रॉड अब केवल मामूली अपराध नहीं, बल्कि सामाजिक-आर्थिक खतरा है। नया साइबर कानून (BNS, IT Act की धाराएँ), सरकारी पोर्टल और जागरूकता ही असली सुरक्षा हैं। खुद की और अपने परिवार की डिजिटल सुरक्षा के लिए सतर्क, जागरूक और टेक्नोलॉजी फ्रेंडली बनें, जानकारी बाँटें और जरूरत पड़ने पर तुरंत कानूनी एक्शन लें.

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Adv. Ashish Agrawal

About the Author – Ashish Agrawal Ashish Agrawal is a Cyber Law Advocate and Digital Safety Educator, specializing in cyber crime, online fraud, and scam prevention. He holds a B.Com, LL.B, and expertise in Digital Marketing, enabling him to address both the legal and technical aspects of cyber threats. His mission is to protect people from digital dangers and guide them towards the right legal path.

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