“दूसरी राधा” नामक फर्जी पहचान से ₹4.32 लाख की ठगी: प्रयागराज की एक चौंकाने वाली घटना

प्रयागराज दूसरी राधा ₹4.32 लाख साइबर फ्रॉड

प्रयागराज दूसरी राधा साइबर फ्रॉड – हाल ही में प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) में एक ऐसा साइबर फ्रॉड हुआ कि सुनकर कानों को विश्वास न हो। पूर्व IPS अफ़सर DK पांडा, जिन्हें “दूसरी राधा” नाम से भी जाना जाता है, उनके बैंक खाते से ₹4,32,043 की राशि ठगों ने उड़ा ली। यह घटना सिर्फ आर्थिक क्षति नहीं, बल्कि डिजिटल सुरक्षा, नागरिक जागरूकता और कानून-व्यवस्था की मजबूती की परीक्षा है। इस लेख में हम जानेंगे कि ये कैसे हुआ, किस कानून के अंतर्गत आता है, कैसे बचाव हो सकता है, और आपके लिए क्या सीख है।

घटना कैसे हुई? – प्रयागराज दूसरी राधा साइबर फ्रॉड

पूर्व IG डीके पांडा प्रयागराज के एडीए कॉलोनी में रहते हैं और ‘दूसरी राधा’ नाम से चर्चित हैं। वे इंटरनेट पर इंडियन बैंक का टोल फ्री नंबर ढूंढ रहे थे, तभी एक कॉल आया—कॉॉलर ने खुद को बैंककर्मी बता कर अपना नाम ‘राहुल कुमार’ बताया। थोड़ी बातचीत के बाद व्हाट्सएप पर एक लिंक भेजा गया और इसे “बैंकिंग समस्या” के समाधान के लिए क्लिक करने को कहा गया। क्लिक के बाद उनके खाते से चार अलग-अलग ट्रांजैक्शन में कुल 4.32 लाख रुपये निकाल लिए गए।

टेक्निकल टर्म: क्या मतलब है?

  • फिशिंग (Phishing): झूठा लिंक या वेबसाइट भेजकर डाटा व पैसे चुराने की तकनीक।
  • इम्पर्सोनेशन (Impersonation): खुद को किसी अन्य व्यक्ति या संस्था (जैसे बैंक) का कर्मचारी बताना।
  • आइडेंटिटी थेफ्ट (Identity Theft): किसी व्यक्ति के नाम, पहचान, या डाटा का गलत इस्तेमाल।
  • ऑनलाइन बैंकिंग/यूपीआई फ्रॉड: ऑनलाइन लेनदेन में किसी फर्जी लिंक या एप्प से पैसे चोरी होना।

मौजूदा कानून व BNS के तहत कार्रवाई

भारतीय सूचना तकनीकी अधिनियम (IT Act 2000) की धारा 66C व 66D और नया Bharatiya Nyaya Sanhita (BNS 2023) ऐसे साइबर फ्रॉड, इम्पर्सोनेशन, व आईडेंटिटी थेफ्ट पर सख्त सजा का प्रावधान करते हैं।

  • धारा 336: फर्जी ऑनलाइन दस्तावेज या लिंक के जरिए ठगी, गलत प्रतिष्ठा फैलाना—सजा, जुर्माना या दोनों।
  • IT Act की धारा 66D: कंप्यूटर संसाधन द्वारा पहचान छुपाकर किसी को धोखा देना—3 साल तक की सजा, 1 लाख तक जुर्माना।

जांच व सुरक्षा उपाय – प्रयागराज दूसरी राधा साइबर फ्रॉड

इस घटना की FIR धूमनगंज थाना प्रयागराज में दर्ज की गई है और पुलिस मामले की तह तक पहुँचने की कोशिश कर रही है—खास तौर से दलाली की ट्रांजेक्शन डिटेल्स, IP ऐड्रेस व कॉल रिकॉर्डिंग के जरिए.

आपके लिए सीख

नीचे कुछ तरीके हैं जिनसे आप ऐसे साइबर फ्रॉड से बच सकते हैं:

  • अधिकारिक स्रोतों का उपयोग करें: बैंक की वेबसाइट, बैंक एप (official app), Toll-Free नंबर आदि केवल बैंक की आधिकारिक सामग्री से ही लें। इंटरनेट पर सर्च करते समय सावधानी बरतें कि साइट भरोसेमंद हो।
  • अंजाने लिंक / संदेश न खोलें: यदि कोई अनजान WhatsApp या कोई संदेश लिंक भेजे, क्लिक करने से पहले सोचे-समझे।
  • दो चरण सत्यापन (Two-Factor Verification) का उपयोग करें जहां संभव हो।
  • अपने बैंक अकाउंट और लेन-देन नियमित रूप से जांचें: खाते से अनपेक्षित पैसे निकलना शुरू हो, तुरंत बैंक से संपर्क करें।
  • शिकायत दर्ज करें: यदि धोखा हुआ है, तो पुलिस में FIR करें और साइबर क्राइम सेल से संपर्क करें। इसके साथ बैंक को भी अवगत कराएँ।

क्या करें:

  • किसी भी इंटरनेट लिंक को बिना जांचे क्लिक न करें, खासतौर पर बैंक संबंधित।
  • टोल फ्री नंबर केवल official वेबसाइट से लें।
  • किसी को OTP, पासवर्ड, या संवेदनशील जानकारी” न दें।
  • फ्रॉड की शिकायतgov.in या स्थानीय पुलिस, या 1930 हेल्पलाइन पर तुरंत करें.

निष्कर्ष (Conclusion) – प्रयागराज दूसरी राधा साइबर फ्रॉड

यह घटना केवल एक व्यक्ति की आर्थिक हानि नहीं है; यह हमारे डिजिटल युग में विश्वास प्रणाली, जागरूकता, और कानूनी सुरक्षा की परीक्षा है। “दूसरी राधा” जैसे नामों से पहचान भूलने या झूठी विश्वास पर भरोसा करने से बचें। यदि कभी आप ऐसे किसी संदिग्ध कॉल, संदेश या लिंक से सामना करें:

  1. तुरंत बैंक से संपर्क करें,
  2. पुलिस / साइबर क्राइम सेल को लिखित शिकायत करें,
  3. अपनी डिजिटल सुरक्षा आदतों को मजबूत करें।

इसके बारे में पढ़ें दिल्ली में बैंक कर्मचारी बनकर धोखाधड़ी: जानिए क्या हुआ और कानून क्या कहता है

Adv. Ashish Agrawal

About the Author – Ashish Agrawal Ashish Agrawal is a Cyber Law Advocate and Digital Safety Educator, specializing in cyber crime, online fraud, and scam prevention. He holds a B.Com, LL.B, and expertise in Digital Marketing, enabling him to address both the legal and technical aspects of cyber threats. His mission is to protect people from digital dangers and guide them towards the right legal path.

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